Sex With Aunty | आंटी की चुदाई और उनकी गांड की पेलाई

 Sex With Aunty - आंटी की चुदाई और उनकी गांड की पेलाई 

Sex With Aunty

आंटी की चुदाई और उनकी गांड की पेलाई 



Aunty Gaand Sex, इस गंदी सेक्स कहानी चुआई की में पढ़ें कि मुझे गंदी चुदाई बहुत पसंद हैं जैसे औरतों की चूत चाटना, गांड में जीभ डालना!मैं अपनी पहचान की एक सेक्सी चालू आंटी के घर गया तो …


दोस्तो, कैसे हो सभी लोग! आप सबने मेरी पिछली सेक्स कहानी

दो भाभी की चूत गांड का मज़ा

तो पढ़ी ही होगी. उस कहानी को पढ़कर आपको बहुत मजा भी आया होगा.


आज मैं एक नई गंदी सेक्स कहानी चुआई की पेश करने जा रहा हूं. यह मेरी और मेरी आंटी की है. आपको पढ़कर बहुत मजा आएगा. लंड वालों का लंड खड़ा हो जाएगा और चूत वालियों की चूत गीली हो जाएगी. लड़कियां अपनी चूत में उंगली डालने लगेंगी. ये बहुत गरम सेक्स स्टोरी है.


दोस्तों आप सबको पता ही होगा, मेरा लंड 9 इंच का है … और मुझे गंदी चुदाईयां बहुत पसंद हैं. खासकर मुझे औरतों की चूत चाटना और गांड में जीभ डालना, उनकी बगलों को चाटना और उनका पेशाब पीना. यह सब मुझे बहुत पसंद है.


ये गंदी सेक्स कहानी चुदाई  की कुछ महीने पहले की है. उस समय October 2022 चल रहा था. मुझे कुछ काम से Lucknow जाना था. मुझे अपनी परिचित की एक आंटी की याद आई. इन आंटी से मेरी फोन पर बात होती रहती थीं और वो मुझ पर काफी फ़िदा थीं.


मैंने उनको फोन लगाया और उनसे बोला कि आंटी मुझे कुछ काम है तो दो-तीन दिन मैं आपके घर रुकूंगा.

उन्होंने कहा- बेटा कोई प्रॉब्लम नहीं है … तुम मेरे घर कभी भी आ सकते हो.


उनकी बात सुनकर मैं सुबह अपने घर से Lucknow के लिए निकल पड़ा. मैं शाम को Lucknow पहुंच गया. Lucknow पहुंच कर मैंने आंटी जी को फोन किया.


उन्होंने बोला कि Lucknow पहुंच गए?

मैंने कहा- हां आंटी मैं Lucknow आ गया हूं … मुझे आप लेने आ जाइए.

उन्होंने बोला- बेटा अभी तो कोई है नहीं … आप ऐसा करो मेट्रो स्टेशन पर जाओ और टोकन लेकर मेट्रो से आ जाओ.

मैंने कहा- ठीक है. आप पता दे दीजिए.


आंटी ने मुझे पता बताया और मैं मेट्रो से उनके दिए पते पर जाने लगा. मैं मेट्रो स्टेशन से नीचे उतरा और मैंने रिक्शेवाले को वो पता बताया.


रिक्शेवाले ने मुझसे बोला- भैया 60 रूपए लगेंगे.

मैंने कहा- कोई बात नहीं भैया … आप मुझे कितनी देर में पहुंचा दोगे?

उसने बोला- मैं 15 मिनट में पहुंचा दूंगा.

मैंने कहा- ठीक है … जल्दी चलो.


वैसे भी दोस्तो, शाम के 8:00 बज चुके थे और मैं 8:30 बजे उनके घर पहुंचा.


जैसे ही मैं उस गली में आया, तो मैंने आंटी को फोन किया.


मैंने कहा- आंटी जी मैं आ चुका हूं, आपने जहां बताया था मैं वहां पर आ गया हूँ.

उन्होंने बोला- ओके इसी गली में सीधे आ जाओ … तीन नंबर वाला मकान है … आ जाओ. मैं बाहर रेलिंग पर मिलूंगी.


जैसे ही मैं गली में चलने लगा तो थोड़ी दूर चलने के बाद मुझे आंटी दिखाई दे गईं. मैं उन्हें देख कर खुश हो गया.


मैंने जाते ही आंटी जी के पैर छुए. मैं जैसे ही आंटी के पैर छूने नीचे झुका, तो उनके पैरों से बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी. ऐसा लग रहा था कि अभी ही चाट जाऊं. पर क्या करता दोस्तो, मैं चुपचाप रह गया और अन्दर जाकर सोफे पर बैठ गया.


आंटी मेरे लिए चाय बना लाईं और मैं चाय पीने लगा.


मैंने आंटी जी से बोला- आप भी चाय ले लीजिए न.

उन्होंने बोला- बेटा मैं चाय नहीं पीती.

मैंने कहा- थोड़ी सी पी लीजिए.


उन्होंने कहा- चाय अच्छी नहीं होती … इससे फिटनेस सही नहीं रहती.

तो मैंने कहा- आप चिंता मत करें … मैं सब सही करवा दूंगा.

उन्होंने कहा- ओके आप जिद कर रहे हो तो पी लेती हूँ.


फिर आंटी जी ने एक कप में चाय ले ली और पीने लगीं.


चाय पीने के बाद उन्होंने कप को नीचे रख दिया और वो बाहर जाने लगीं. आंटी जैसे ही अन्दर गईं … मैंने अपनी आदत के चलते उनका झूठा गिलास उठा कर मुँह में लगा लिया और थोड़ी बची चाय पी ली. ये उन्होंने मुझे पीछे मुड़कर देख लिया और मुस्कुरा दीं.


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आंटी बोलीं- मेरी झूठी चाय थी … तुमने क्यों पी ली?


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मैं समझ गया था कि आंटी मुस्कुरा रही हैं.


मैंने बोला- मुझे आपकी झूठी चाय पीना अच्छा लगा.


उन्होंने कहा- सच में … क्या-क्या पी सकते हो?

मैंने कहा- मैं सब कुछ पी सकता हूं.


इस तरह की बातों से दोअर्थी बातों का दौर शुरू हो गया था. आंटी नॉटी होने लगी थीं.


मेरी उनके साथ कुछ छिपे हुए शब्दों में खुली खुली सी बात हुई, तो उन्होंने हंस कर बोला- कोई बात नहीं शाम को बात करेंगे, अभी अंकल पार्क से घूम कर आ रहे होंगे. मुझे उनके लिए खाना बनाना है. तुम घर में बैठो, मैं अभी आती हूँ.

मैंने कहा- ठीक है.

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आंटी जी मुझे घर छोड़ कर सब्जी लेने के लिए बाजार चली गईं.

आधे घंटे बाद आंटी वापस घर आ गईं और तब तक अंकल जी भी घर पर आ गए थे.


आंटी जी ने उनके लिए खाना बनाया और मैंने उन दोनों से कुछ देर बात की.

अंकल जी की आज नाईट ड्यूटी थी, सो वे चले गए.


आंटी जी ने मेन दरवाजे पर कुंडी लगाई और बोलीं- हां अब बताओ तुम क्या क्या पी सकते हो?

मैंने समझ लिया कि आंटी चुदने के मूड में आ गई हैं.


अपने लंड को सहलाते हुए मैंने उनसे बिंदास कहा- मुझे बहुत गंदा काम करना पसंद है.


उन्होंने बोला- मुझे भी ये सब पसंद है. तुम शरमाओ मत और खुल कर बताओ.

मैंने आंटी से बोला- आंटी जी मुझे आपकी गांड के छेद में अपनी पूरी जीभ डाल कर चाटना है, आपकी चूत भी चाटनी है … और बगलें भी चाटनी हैं.


आंटी मदहोशी भरे स्वर में बोलीं- और क्या चाटना पसंद है?

मैं- मुझे आपके पैर भी चाटने हैं और अपना 9 इंच का लंड आपकी गांड में डालना है और चूत भी चोदनी है.

आंटी ने बोला- बस करो … अब बोलो मत बस सीधे काम पर लग जाओ. मुझे भी तुम्हारे जैसे लड़के की जरूरत है.

मैंने आंटी से बोला- ओके आप खड़ी हो जाइए.


वो खड़ी हो गईं.


मैंने आंटी की साड़ी उतार कर फेंक दी. फिर पेटीकोट ब्लाउज खोल कर आंटी को ब्रा पैंटी में खड़ा कर दिया. मैं आंटी के मादक जिस्म को निहार रहा था. सच में आंटी बड़ा मस्त माल थीं.


आंटी ने उंगली से मुझे करीब आने का इशारा किया तो मैं आंटी के करीब गया और घुटने के बल बैठते हुए आंटी उनकी जांघों को अपनी जीभ से चाटने लगा. फिर धीरे से चूत को पैंटी के ऊपर से ही सूंघा और उनकी पेंटी को अपने मुँह से खींच कर उतार दिया. आंटी की चूत सफाचट थी. मैं उनकी चूत को सूंघने लगा.


दोस्तो, क्या बताऊं आंटी की चूत से बहुत अच्छी महक आ रही थी. मैंने आंटी की चूत में जीभ फेर दी.


आंटी की चूत एकदम से गरमा गई थी. उन्होंने मुझे अपने साथ बिस्तर पर खींच लिया और मैं उनके ऊपर चढ़ गया. आंटी ने मेरे लंड को हाथ से पकड़ा और चूत की फांकों में लगा लिया. मैंने चूत की फांकों पर लंड को घिसना शुरू कर दिया था.


इससे आंटी की मदमस्त आह निकल गई और मैं उनकी चूत को लगातार छेड़ने लगा.


कुछ देर बाद मैंने उनसे बोला- आप मेरे मुँह पर बैठ जाओ … मुझे आपकी चूत चाटनी है.

वो खुश थीं तो झट से राजी हो गईं.


अब मैं जमीन पर लेट गया और आंटी मेरे मुँह पर अपनी चूत लगा कर बैठ गईं. आंटी कमर हिलाते हुए मुझसे अपनी चूत चटवा रही थीं.


कुछ देर बाद आंटी बोलीं- मुझे सूसू आ रही है.

मैंने बोला- मुझे पेशाब पीने का मन कर रहा है.

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