बेटे ने Facebook पर अनजाने में मां को पटाकर पेला
बेटे ने Facebook पर अनजाने में मां को पटाकर पेला | Mom Son chudai Kahani | Mom Son Sex Story |
ये कहानी Mukesh के द्वारा भेजा गया है, उसी के शब्दों मे इस कहानी को आपके समक्ष पेश कर रहा हूँ। मैं विकास हूँ, झारखण्ड के रांची शहर मे रहता हूँ। मेरा उम्र 20 साल है, मेरे घर मे मेरी माँ , एक छोटी बहन है और मैं हूँ। पापा मेरी सौतेली माँ के साथ बिहार मे रहते है और वही बिजनेस करते है। पापा हर महीने जीवन यापन के लिए 20000 रुपये हमे भेज देते है। लेकिन रहते है मेरी सौतेली माँ के साथ ही जबकी मेरी अपनी माँ भी सुंदरता मे कयामत ढा देती है। मेरी माँ की फिगर 34, 24 और 38 है, मम्मे बिल्कुल कसी हुई है, चुतर की उभार बिल्कुल मस्त है। पेट मे हल्की बहुत हल्की चर्बी है जो उसे और सुंदर बना देती है जैसे कोई MILF होती है। ये है मेरी MILF माँ के साथ चुदाई की कहानी जो कि आपके समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है। मेरे फ़ेसबुक मे बहुत सारी लड़कियां दोस्त है और मुझे फ़ेसबुक की बहुत बड़ी लत लगी हुई है । मेरे पास कम्प्यूटर नही है फिर भी मैं कैफे मे जाकर इंटरनेट चलाया करता था और हर घंटे के 25 रुपये देने होते थे। मेरी माँ को कंप्यूटर की जरूरत हो चली थी क्यों की वो भी फ्रेलंसर मे काम करती थी जिसके लए इंटरनेट की जरूरत थी। मम्मी का कहना था की वो जल्द कम्प्यूटर खरीदेगी फिलहाल सायबर कैफे ही सहारा था। मम्मी अपना काम पड़ोस की आंटी की कंप्यूटर से करा करती थी लेकिन अब उनसे झगड़ा होने के कारन मम्मी भी कभी कभी सायबर कैफे चली जाती थी।
मैं अक्सर धनकट बाज़ार वाला कैफे जाया करता था वहां मैं रोज फ़ेसबुक चलाया करता था और आने से 20 मिनट पहले पोर्न वीडियो देख के कैफे के कैबिन के अंदर ही कभी कभी मुठ भी मार लिया करता था। 2 महीने पहले की बात है एक लड़की से चैटिंग मे हाई हेल्लो तो होता था लेकिन लंबी बात कभी नही करता था। एक रोज उस लड़की से मैंने बहुत देर तक बात किया मुझे जब पता चला की वो भी रांची से ही है तो बाते ज्यादा करने लगा।
उसकी प्रोफाइल पिक्चर मे गुलाब की फूल थी और मेरे प्रोफाइल पिक्चर मे अक्षय कुमार का फोटो था। हम दोनो मे अक्सर बाते गहरी होती जाती थी। यु ही कुछ समय बीतने के पश्चात मुझे बिना चैटिंग का चैन नही आता था। धीरे धीरे बाते बढ़ने लगी और हम दोनो एक दूसरे को अपने बारे मे बताने लगी , वो अपना नाम मुझे सीमा बताई थी। हम दोनो मे दोस्ती प्यार मे बदल गया। मैं उस से उसकी फीगर पूछा तो वो बताई 32, 28 और 34। मैंने भी उसे बताया की मेरा लंड 7.8 इंच का है और भी बहुत सारी बाते जैसे चुम्मा चुम्मी। एक दिन मैं उस से मिलने की इच्छा जताया तो वो मना कर दी लेकिन मैंने जिद किया। फिर भी वो मिलने से मना कर दी लेकिन एक दिन जब मैंने कहा की मुझे उसे चोदना है तो वो थोड़ा इंट्रेस्ट जताई। वो मझे अच्छी लगती थी तो मैं भी उसे अच्छा लगता था। हम दोनो sexual बाते ज्यादा करने लगे।
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मिलने का जिद मैं जब भी करता था तो वो मना कर देती थी इसलिए अब मैं उस से मिलने के बारे मे जिक्र करना बंद कर दिया था। एक रोज मैंने उसे पूछा की अभी तुम कहाँ हो तो बताई कैफे का नाम और मैंने पूछा कैबिन का नंबर तो बताई 5 नंबर कैबिन मे। मैंने बताया कि मैं भी उसी कैबिन मे हूँ लेकिन 2 नंबर कैबिन मे। वो ये सुन कर खुश हो गयी और खुद ही पूरी जिद के साथ मुझे अपनी कैबिन मे बुलाने लगी। मैं भी कुर्शी पीछे करके उठा और उसकी कैबिन को खटखटाया। कैफे के बगल मे एक फूल का भी दुकान था मैने वहां से गुलाब का फूल ले लिया था ताकि उसे देकर आई लव यु बोल सकु। जैसे ही मेरी जानेमन दरवाजा खोली तो मेरे मुह से आई लव.. तो निकल गया लेकिन यू नही बोल पाया क्योकि सामने मेरी माँ थी। मुझे तब याद आया कि मेरी माँ का नाम भी तो सीमा ही है।
हमने एक दूसरे से चैटिंग मे सब कुछ सही कहा था। लेकिन ये नही सोच पाया कि ये सारी बाते मेरी माँ पर बिल्कुल फिट बैठता है। मैं बिल्कुल भौचक्का रह गया और हाथ मे गुलाब का फूल पकड़ा हुआ ही रह गया। उसे भी कुछ समझ मे नही आ रहा था और बिल्कुल स्तब्ध थी। वो धीरे से पर्स उठाई और घर के लिए निकल दि वहां से। मैंने मम्मी की और मेरा फ़ेसबुक लॉगआउट करके दोनो का पैसे कैफे वाले को दिया । मैं भी सीधे घर आया और अपने बेडरूम पर आकर बिस्तर मे सिर पकड़ कर बैठ गया। मैं बहुत गहरी सोच मे पड़ गया। वो मेरी सगी माँ है, मुझे अपनी सगी माँ से प्यार है? और तो और उतने दिनों से मैं अपनी ही माँ से चुदाई की बाते करता था? हे भगवान मैं अपनी मम्मी को बूर मे उंगली करने को कहता था और खुद अपने लण्ड को मसलता था। ये अनजाने में क्या से क्या हो गया। मैं इसी तरह की खयालो से गहरी सोच मे पड़ा हुआ था। मेरे खयाल से माँ का भी कुछ ऐसा ही हाल हुआ होगा।
कुछ देर बाद माँ मुझे खाना खाने को बुलाई रात के 9 बज रहे थे। मैं नर्वस था लेकिन नर्वस तो मा भी थी। मैं खाना खाने के लिए बाहर गया तो माँ खाना लगाकर वो अपनी रूम चले गयी। मैं खाना खाया और मैं भी अपने रूम पे सोने आगया । दूसरे दिन सुबह हम दोनो एक दूसरे ने नज़र नही मिला पा रहे थे। माँ मुझे हमेशा बेटा केह कर बुलाती थी लेकिन अब वो मुझे विकास कह कर बुलाती थी। मैं अब जब भी इंटरनेट खोलता तो मुझे अपनी गर्ल फ़्रेंड सीमा की याद आती थी हालांकि जब भी मैं अब माँ को देखता था तो मुझे माँ वाली फीलिंग बहुत काम आती थी। मेरी माँ के तरफ सोच मे बदलाव आ चुकी थी, मुझे माधुरी से दिल से प्यार हुआ था, अगर वो किसी और की मा होती तो कोई परेशानी नही होता लेकिन थी तो मेरी माँ। सायद ऐसा ही हाल मेरी माँ की भी थी।
मैं सोफे मे बैठ कर movie देख रहा था टी. वी. पर। माँ सामने बैठ कर काम कर रही थी कि अचानक मेरा नजर उन पर पड़ा उसकी सारी की पल्लू नीचे सरक रही थी। वो इस बात से अनजान थी, मुझे उसकी बड़ी सी गोल सी आधे बूब्स काली रंग की बड़ी गर्दन वाली ब्लाउज़ मे से दिख रही थी। उसकी ब्रा की स्ट्रिप भी दिख रही थी और उसकी गोरी पेट भी दिखाई दे रही थी। ये नज़ारा मेरा लण्ड को कब खड़ा कर दिया मुझे पता नही चला, मेरे कट्टू पैंट मे लण्ड तम्बू बन गया था। काश वो मेरी वाली सीमा होती तो अभी संभोग का मजा लेता और खुद की एक कहानी बनाता।
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माँ अपनी धुन मे काम कर रही थी कि उन्हें ऐसा लगा कि मैं उसे देख रहा हूँ। वो धीरे से अपनी नज़र को उठाई, पहले तो उसकी नज़र मेरी पैंट पर खड़े लण्ड पर पड़ी और बाद मे मेरे चेहरे पर लेकिन मैं तुरंत अपने चेहरे को टी. वी. के तरफ घुमा लिया। मम्मी तुरंत सब माजरा समझ गयी और अपनी पल्लू को ठीक कर ली। लेकिन मेरा लण्ड बैठने का नाम ही नही ले रहा था। अब तो मुझे अपनी माँ से ही प्यार होने लगा था।
पता नही तभी उसके मन मे किया चला होगा । मैंने हिम्मत जोर कर माँ से कहा- माँ ये सब अनजाने मे हो गया लेकिन जो भी हुआ मुझे वो सारी चैटिंग बहुत याद आती है। माँ भी कुछ समय तक सोची फिर बोली – किया करु ? तुम तो मेरे बारे मे खराब सोचते होंगे। लेकिन मुझे भी तो प्यार हो गया था।
मैं- माँ तुम मुझ से क्या अभी भी उस तरह से प्यार करती हो?
माँ – मैं तो भूल ही नही पा रही हूँ।
मैं – तो क्या वो जो मेरा इच्छा था मेरे गर्ल फ़्रेंड से उसका क्या?
माँ- कैसी इच्छा?
मैं- आपके साथ मतलब सीमा के साथ जिस्मानी सम्बन्ध बनाने की।
माँ- ये कैसे संभव है? हम तो माँ बेटे है। दूसरो को पता चलेगा तो कैसे किसी को हम मुह दिखाएंगे?
मैं- मानो अगर किसी को पता न चले, और पापा तो वैसे भी आपके साथ नही रहते। मैं आपका बेटा नही बल्कि आपका वो वाला boy friend हूँ। और जो जिस्मानी आग हमारे अंदर है वो अभी भी धधक रही है। तो फिर किया करनी चाहिए हमे।
माँ- बेटा I Love you लेकिन ये बाते हमारे बीच ही दफन रहना चाहिए। हम दोनो माँ बेटा ही रहेंगे लेकिन जिस्मानी संबंध के साथ।
ये सुन कर मैं माँ के पास जा बैठा। और अपने होंटो को उनके होंटो के नजदीक रख दिया , मुझे उनकी तेज और गरम सांसे महसूस हो रही थी। मैंने पूछा- गेट बंद है? वो हामी मे सिर हिलाते होए मेरे होंटो को अपने मुह मे लेकर चूसने लगी। वो नरम नरम और गरम गरम एहसास मेरे लण्ड को और भी ज्यादा इत्तेजित कर रहा था। मैंने माँ की पल्लू को नीचे गिरा दिया और ब्लाउज़ के ऊपर से ही माँ की चूचियों को दबाने लगा।
माँ बहुत ज्यादा उत्तजित हो चुकी थी और बिल्कुल कामुक लग रही थी। माँ मेरे लण्ड को जोर से हाथो मे लेकर दबाने और मसलने लगी थी। मुझ मे बर्दास्त की सीमा टूटने लगी थी।
मैं- माँ आई लव यु।
मैं माँ की सारी उतारने लगा। किया मस्त बमफर माल लग रही थी। उसकी पेट बहुत हल्की सी आगे की तरफ निकली हुई थी। उसकी गांड की बनावट पेटीकोट मे बाहर से ही पता चल रहा था। मन तो करता था की बहुत मसलु। मैं भी हड़बड़ाते हुए एक झटके मे नंगा हो लिया।
माँ- आराम से बेटे आज से मैं तुम्हारी ही हूँ।
मैं- माँ आप बहुत सुंदर हो। शादी करोगी मुझ से?
माँ- हा हा हा। पहले मुझे खुश करो। माँ अपनी पेटीकोट को ऊपर करके, टांगो को फैला कर एक उंगली से ही अपनी ऊपर आने की इशारा की। मैं बूर चाटना चाहता था लेकिन बूर नही चत कर अपना लण्ड पूरी तरह से चूत मे पेल दिया। मम्मी बिल्कुल से बकरी के तरह मिमया गई। और फिर दोनो टांगो के बीच मुझे लॉक कर लि। मैं धीरे धीरे चोदने लगा, माँ की बूर बहुत गर्म थी। मैं चुदाई भी कर रहा था साथ मे ब्लाऊज़ भी खोल रहा था। माँ को मैं किस्स करने लगा तो माँ बोली जोर से चोदो, मैंने रफ़्तार तेज कर दिया फच फच फच खूब चोदा। मेरी माँ के अंदर बहुत ज्यादा आग थी, वो चुदाई का भर पुर मजा ले रही थी।
तलाकशुदा बुआ को चोदा और उनकी आग बुझाई
20 मिनट चोदने के बाद माँ तड़पने लगी और मुह से आवाजे निकालने लगी आह अआ अह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह अह अह अह अह औ ओह ओह ओह हम्म्म्म्म ह्म्म्म्म
उनकी अवाजो से मेरे अंदर और जोश आगे, रफ़्तार और भी तेज कर दिया। वो मजे भी ले रही थी और अवाजो मे दर्द मजा दोनो था। अपनी चूतरो को उठा उठा के मजा ले रही थी। फच फच कक कच कच खूब चोद माँ को ।
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माँ – तुम मेरे बॉय फ़्रेंड ही बना रहना, भले ही दुनिया के नजर मे माँ बेटा रहेंगे।
मैं- हां माँ तुम मेरी सीमा हो क्यों कि माँ के बिना एक पल रह लूंगा लेकिन मेरी सीमा के बिना नही।
ये सुन के माँ मुझे जोर से जकड़ ली और होंट और जीभ को जोर जोर से चूसने लगी। यु ही कुछ मिनटों तक चलता रहा फिर मैंने माँ को कुतिया बनने को कहा। तो वो मेरे लंड को अपनी बूर से आजाद की और पलट के कुतिया बन गयी। मैं जब पीछे से अपना लण्ड को माँ की बूर मे ठेला तो घप्प की आवाज आई। और फिर मैं बड़ी बड़ी हिलती हुई चूतरो पर थप्पड़ मारता और मसलता , चुदाई भी अपनी रफ़्तार मे था। माँ की चूत की गरम गरम रस मेरे लण्ड को चुदाई की आगोश मे लेता जा रहा था। मैं अपने दोनो हाथो से मम्मी की पीठ को सहलाने लगा और सहलाते सहलाते माँ की ब्रा की हूक को खोल दिया। चुदाई करते समय मेरे जांघ मम्मी की बड़ी बड़ी चूतरो मे टक्कर मरता और थप्प थप थप्पप थप थप थप की आवाजे निकलता।
मैं- माँ माँ आह ओहह आ रहि है ओह।
माँ- अंदर ही निकाल दे। अह अह अह अह अह !
मम्मी की बूर तिघ्त महसूस होने लगा। मै एक हाथ से उसकी बाल को पीछे खिच रखा था और दूसरे हाथ से उसकी बूब्स को बाद रहा था।
चुदाई की रफ़्तार चरम सीमा मे आगयी।
आह अह अह अह अह मवाह मुअह मुअः ह्म्म्म हए दैय्या। अह अह अह
खूब चुदाई हो रही थी। मम्मी अपनी गांड को तेजी से आगे पीछे करने लगी। मैं चरम सीमा मे आ गया। मैं दोनो हाथो से माँ को पीछे से बाहो मे जाकर लिया और जोर से अपने सीने मे दब लिया मेरा जिश्म बिल्कुल टाइट हो गया। फच फचाक से मेरा लण्ड से वीर्य की धारा माँ की चूत मे निकल गया। माँ भी तड़पने लगी और फिर सांत हो गयी। पलट के माँ मुझे अपनी बाहों मे ले ली।
चाची की मजबूरी का फायदा उठाया और उनकी बुर चोदा
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